कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं

कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निमरूतः गणेन।
कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्रम् अत्येति रेभन्।।

विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञानको अपनी कविर्गिभिः अर्थात् कबीर बाणी द्वारा पुण्यात्मा अनुयाइयों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।

यजुर्वेद के अध्याय नं. 29 के श्लोक नं. 25 (संत रामपाल जी महाराज द्वारा भाषा-भाष्य):-
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होता है उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कबीर प्रभु ही आता है। में

Comments

Popular posts from this blog

मनुष्य के लिए नशा घातक